माफीनामा

माफीनामा

अब जबकि मैं, पापा होने का दायित्व निभा रहा हूं,
अपने बच्चों की छोटी-छोटी गलतियों पर खींझ जाता हूं,
उन्हें डांटता हूं और कभी-कभी उन्हें मार भी देता हूं.
पापा मुझे आज तक समझ नहीं आया कि आप मेरी हर जायज-नाजायज फरमाइश कैसे पूरी करते रहे,


मैं लाख गलतियां करता रहा और आपने मुझे कभी नहीं डांटा,केवल समझाते रहे,
आपका जीवन कितना निस्वार्थ और सादगीपूर्ण था,संयम की परिभाषा थे आप .
आपने अपना सारा जीवन हमारी खुशियों के लिए समर्पित कर दिया.
मुझे याद है कि जब मैं दूसरे शहर आ गया तो आप मुझे लेकर
कितने परेशान रहते थे आप मुझसे लगातार यही पूछते थे कि बेटा,तुम खुश होना,
तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है?तुम्हें क्या चाहिए?

परंतु आज जब पापा आप नहीं हो,मन में एक ग्लानी है कि मैंने आपसे कभी नहीं पूछा कि पापा,
आप कैसे हो?आप क्या चाहते हो?आपको कोई परेशानी तो नहीं है?

पापा मैं सारी उम्र अपने भविष्य के बारे में सोचता रहा मेरे जीवन की सारी योजनाएं केवल मुझ तक सीमित रही फिर भी यह आपका ही आशीर्वाद रहा कि आज मेरे पास सब कुछ है,
किंतु आपकी कमी जीवन में हमेशा रहेगी.

हां,एक बात और कि आपके लिए कुछ न कर पाने का गम भी हमेशा रहेगा.लेकिन मैं प्रयास करुंगा कि आपकी तरह अच्छा पापा बन सकूं.आज कुछ लोग अपने पुरखों की याद
में तर्पण कर रहे हैं,मुझे आपकी बेहद याद आ रही है और दिल में एक एहसास भी हो रहा है कि आप मेरेआस-पास ही कहीं है,मैं आपके चरण पकड़कर बस यही कह चाहता कि“पापा मुझे माफ कर देना”