रूप रंग से नहीं है पहचान तेरी

रूप रंग से नहीं है पहचान तेरी
पर हिम्मत का है तेरे,उसे आभास
उस तेज़ाब से जो मिटी नहीं हस्ती है ऐसी तेरे पास
बिगाड़ा भी तो क्या बिगाड़ा उसने
तकदीर है मेरी हौसलों में
डर कर किबाड़ बंद कर लूँ
ऐसा डर नहीं उन बोतलों में
जाओ बोल आओ उन्हें
जो घर में बैठ कर सहमें है
लड़ाई को पूरी करनें कुछ अधजली बहनें हैं
कुछ घुलें आंसू जो बहे अभी अछलक
कुछ नन्हे सपने जो छुपे हैं
आधी रात में अपलक
पूरा करने उन्हें मैं भरमाई हूँ
टूट के जो जुड़ जाए
अम्मा की ऐसी तुरपाई हूँ
तोड़ो तुमने जो तोडा न होगा
जोड़ूंगी मैं वो जोड़ा न होगा
सड़कों में लेकर खड़े होंगे मुझे
वो मोमबत्ती बन मैं फैलूंगी
जलाओ जैसे जलाना होगा
शर्म बनकर मैं पिघलूँगी
बुझाओगे कैसे आस मेरी
जलाओगे कैसे चाह मेरी
मैं धरा हूँ जलकर भी
 पानी कोख से बहाउंगी
पापी हो तुम लेकिन मैं
गंगा बन बनारस जाउंगी
फिर तेज़ाब की बोतल लेके आना तुम मेरे पास
जलना कैसे होता है
मैं तुमको दिखलाउँगी
जब पेट में थे तुम मेरे
 तब दर्द से कराहा करती थी मैं
पत्नी बनकर तुम्हारे दास्तानों को
ठण्ड में बनाया करती थी मैं
राखी बनकर रोली को
जब माथे से लगाते थे तुम
आरती बन थाली में
नज़र उतारा करती थी मैं
जलना हो तो अगले जनम औरत बन जल जाना
तेज़ाब से मिटाने चले थे जिसको
उसका हिसाब कर जाना
उसका हिसाब कर जाना
सूर्य गौतम

अभियांत्रिकी सहायक