बेटियां


रिश्तो को माला में पिरोती है बेटियां
घर की नीव, दीवार, छत होती l बेटियां

महकता है जिनके होने से आगंन
वह खुशबू होती है बेटिया
आज माँ, बाप न भटकते दर-दर

अगर कोख में ना मारते बेटियां
क्यो मारते हो हमें जन्म लेने से पहले
रोते-रोते कहती है बेटियां
बुजुर्ग सजर आसमान होते है हमारी जात की पहचान होते है
संभाल कर रखना इनको बुजुर्ग घर की शान होते है

मेरा पता पूछता है दुश्मन भी अजकल
प्यार से बात करने वाला शक्स कोन था

आइना हूँ तो सच ही दिख उगां दुनिया
आप को तोड़ना है तो तोड़ दो मुझको


(राजेन्द्र शर्मा)

आकाशवाणी, भोपाल