जख्म


जख्म देना उसकी फितरत है
हमने तो आदत सी वना ली है

लाख दर्द हाँ सीने में फिर भी
चेहरे पर मुस्कुराहटे सजा ली है

कफस की कैद से दम निकले बस
हर रोज ईद है हर रोज दीवाली है


(राजेन्द्र शर्मा)
                                                                 आकाशवाणी, भोपाल