खुशियां


कितनी हसीन दौलत वक्शी है रब ने मुझे
जितनी भी बाटता हूँ खुशियां, कम नहीं होती

कुछ तो होता है असर दिल पर हादसों का
वर्ना आँखे यू वे वजह ही कभी नम नहीं होती


घर में रहता हूँ या सफर में रहू यारो सच है
दुआयें बुजुर्गों की कभी बे-असर नहीं होती
देता रहता है जो सदा परिन्दों को दाना-पानी
उसकी बरकत में कभी भी कोई कमी नहीं होती
हादसे ही सिखाते है जिन्दगी जीने का सबक़

हर एक बात किताबो में लिखी नहीं होती
तासीर भी देती हैं खुद गवाही अपने होने की
सिर्फ रंगों से ही फूलो की पहचान नहीं होती
जितनी भी बांटता हूँ खुशिया कम नहीं होती


(राजेन्द्र शर्मा)
आकाशवाणी, भोपाल